Saturday 15 February 2020

हिंदू उत्तराधिकार

हिंदू उत्तराधिकार कानून

·       न्यूज़ पेपर नवभारत टाइम्स के मुताबिक आज यहाँ मैं आपके सभी सवालों का जवाब लेकर आया हूँ कि हिन्दू परिवार के संपत्ति में कैसे बंटवारा किया जाय और इसमें किसका कितना अधिकार है।  सुप्रीम कोर्ट कि ताज़ा फैसले में इस बात पर पूरजोर ध्यान दिया गया है कि आने वाले समय में कहीं कोई विवाद न हो तथा हर संतान को उसका अधिकार मिले।  आइये बताये गए पॉइंट पर गौर फरमाते हैं और विरासत में मिली संपत्ति के अधिकारों को खंगालते हैं , जो इस प्रकार है 



हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने पिता की पैतृक संपत्ति में बेटियों के हक पर बड़ा फैसला दिया
  • मंगलवार को तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार है
  • इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को 1956 से ही बेटियों को संपत्ति का अधिकार दे दिया
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को पैतृक संपत्ति में बेटियों के हक पर बड़ा फैसला दिया। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि यह लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम है। हालांकि, पीठ ने कहा कि इसमें देरी हो गई। इसने कहा, 'लैंगिक समानता का संवैधानिक लक्ष्य देर से ही सही, लेकिन पा लिया गया है और विभेदों को 2005 के संशोधन कानून की धारा 6 के जरिए खत्म कर दिया गया है। पारंपरिक शास्त्रीय हिंदू कानून बेटियों को हमवारिस होने से रोकता था जिसे संविधान की भावना के अनुरूप प्रावधानों में संशोधनों के जरिए खत्म कर दिया गया है।' आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर 10 बड़े सवालों के जवाब...

1. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का बेटों के बराबर अधिकार होता है। उसने पैतृक संपत्ति पर बेटियों को अधिकार को जन्मजात बताया। मतलब, बेटी के जन्म लेते ही उसका अपने पिता की पैतृक संपत्ति पर अधिकार हो जाता है, ठीक वैसे जैसे एक पुत्र जन्म के साथ ही अपने पिता की पैतृक संपत्ति का दावेदार बन जाता है।

2. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
सुप्रीम कोर्ट के सामने यह सवाल उठा कि क्या हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 के प्रावधानों को पिछली तारीख (बैक डेट) से प्रभावी माना जाएगा? इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हां, यह बैक डेट से ही लागू है। 121 पन्नों के अपने फैसले में तीन सदस्यीय पीठ के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 की संशोधित धारा 6 संशोधन से पहले या बाद जन्मी बेटियों को हमवारिस (Coparcener) बनाती है और उसे बेटों के बराबर अधिकार और दायित्व देती है। बेटियां 9 सितंबर, 2005 के पहले से प्रभाव से पैतृक संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा ठोक सकती हैं।'

3. 9 सितंबर, 2005 का मामला क्यों उठा?
इस तारीख को हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून 2005 लागू हुआ था। दरअसल, हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 से अस्तित्व में है जिसे 2005 में संशोधित किया गया था। चूंकि 2005 के संशोधित कानून में कहा गया था कि इसके लागू होने से पहले पिता की मृत्यु हो जाए तो बेटी का संपत्ति में अधिकार खत्म हो जाता है। यानी, अगर पिता संशोधित कानून लागू होने की तारीख 9 सितंबर, 2005 को जिंदा नहीं थे तो बेटी उनकी पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती है।

4. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में वर्ष 1956 का जिक्र क्यों?
जैसा कि ऊपर बताया गया है- हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 में ही आया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 की धारा 6 की व्याख्या करते हुए कहा कि बेटी को उसी वक्त से पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार मिल गया जबसे बेटे को मिला था, यानी साल 1956 से।

5. 20 दिसंबर, 2004 का जिक्र क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने बेटी को पिता की पैतृक संपत्ति में 1956 से हकदार बनाकर 20 दिसंबर, 2004 की समयसीमा इस बात के लिए तय कर दी कि अगर इस तारीख तक पिता की पैतृक संपत्ति का निपटान हो गया तो बेटी उस पर सवाल नहीं उठा सकती है। मतलब, 20 दिसंबर, 2004 के बाद बची पैतृक संपत्ति पर ही बेटी का अधिकार होगा। उससे पहले संपत्ति बेच दी गई, गिरवी रख दी गई या दान में दे दी गई तो बेटी उस पर सवाल नहीं उठा सकती है। दरअसल, हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 में ही इसका जिक्र है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात को सिर्फ दोहराया है।

6. क्या बेटों के अधिकार पर ताजा फैसले का कोई असर होगा?
कोर्ट ने संयुक्त हिंदू परिवारों को हमवारिसों को ताजा फैसले से परेशान नहीं होने की भी सलाह दी। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने कहा, 'यह सिर्फ बेटियों के अधिकारों को विस्तार देना है। दूसरे रिश्तेदारों के अधिकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें सेक्शन 6 में मिले अधिकार बरकरार रहेंगे।'

7. क्या बेटी की मृत्यु हो जाए तो उसके बच्चे नाना की संपत्ति में हिस्सा मांग सकते हैं?
इस बात पर गौर करना चाहिए कि कोर्ट ने पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार दिया है। अब इस सवाल का जवाब पाने कि लिए एक और सवाल कीजिए कि क्या पुत्र की मृत्यु होने पर उसके बच्चों का दादा की पैतृक संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाता है? इसका जवाब है नहीं। अब जब पैतृक संपत्ति में अधिकार के मामले में बेटे और बेटी में कोई फर्क ही नहीं रह गया है तो फिर बेटे की मृत्यु के बाद उसके बच्चों का अधिकार कायम रहे जबकि बेटी की मृत्यु के बाद उसके बच्चों का अधिकार खत्म हो जाए, ऐसा कैसे हो सकता है? मतलब साफ है कि बेटी जिंदा रहे या नहीं, उसका पिता की पैतृक संपत्ति पर अधिकार कायम रहता है। उसके बच्चे चाहें कि अपने नाना से उनकी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी ली जाए तो वो ले सकते हैं।

8. पैतृक संपत्ति क्या है?
पैतृक संपत्ति में ऊपर की तीन पीढ़ियों की संपत्ति शामिल होती है। यानी, पिता को उनके पिता यानी दादा और दादा को मिले उनके पिता यानी पड़दादा से मिली संपत्ति हमारी पैतृक संपत्ति है। पैतृक संपत्ति में पिता द्वारा अपनी कमाई से अर्जित संपत्ति शामिल नहीं होती है। इसलिए उस पर पिता का पूरा हक रहता कि वो अपनी अर्जित संपत्ति का बंटवारा किस प्रकार करें। पिता चाहे तो अपनी अर्जित संपत्ति में बेटी या बेटे को हिस्सा नहीं दे सकता है, कम-ज्यादा दे सकता है या फिर बराबर दे सकता है। अगर पिता की मृत्यु बिना वसीयतनामा लिखे हो जाए तो फिर बेटी का पिता की अर्जित संपत्ति में भी बराबर की हिस्सेदारी हो जाती है।

9. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
केंद्र सरकार ने भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिए पैतृक संपत्ति में बेटियों की बराबर की हिस्सेदारी का जोरदार समर्थन किया। केंद्र ने कहा कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का जन्मसिद्ध अधिकार है। जस्टिस मिश्रा ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि बेटियों के जन्मसिद्ध अधिकार का मतलब है कि उसके अधिकार पर यह शर्त थोपना कि पिता का जिंदा होना जरूरी है, बिल्कुल अनुचित होगा। बेंच ने कहा, 'बेटियों को जन्मजात अधिकार है न कि विरासत के आधार पर तो फिर इसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है कि हिस्सेदारी में दावेदार बेटी का पिता जिंदा है या नहीं।'

10. बेटियां ताउम्र प्यारी... जैसी कौन सी टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की?
सुप्रीम कोर्ट ने अभी अपनी तरफ से इस पर कुछ नहीं कहा। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में दिए गए फैसले के वक्त ही कही थी। तीन सदस्यीय पीठ के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने इसे दोहराया। उन्होंने कहा, 'बेटा तब तक बेटा होता है जब तक उसे पत्नी नहीं मिलती है। बेटी जीवनपर्यंत बेटी रहती है।' तीन सदस्यीय पीठ में जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह भी शामिल थे।

Saturday 12 August 2017

जाने सैकड़ो रोगों का इलाज !

सहजन पेड़ मनुष्य के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं


दुनीया का सबसे ताकतवर पोषण पुरक आहार है सहजन (मुनगा) 300 से अधि्क रोगो मे बहोत फायदेमंद इसकी जड़ से लेकर फुल, पत्ती, फल्ली, तना, गोन्द हर चीज़ उपयोगी होती है
आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है

सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना
?-विटामिन सी- संतरे से सात गुना
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विटामिन ए- गाजर से दस गुना
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कैलशियम- दूध से सत्रह गुना
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पोटेशियम- केले से पन्द्रह गुना
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प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना

स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन , कैल्शियम , पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम,विटामिन-ए , सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाती है
इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम मोरिगा ओलिफेरा है हिंदी में इसे सहजना , सुजना , सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं.जो लोग इसके बारे में जानते हैं , वे इसका सेवन जरूर करते हैं, सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है.
ये हैं सहजन के औषधीय गुण सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में , इसकी फली वात व उदरशूल में , पत्ती नेत्ररोग , मोच , साइटिका , गठिया आदि में उपयोगी है
इसकी छाल का सेवन साइटिका , गठिया , लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं
इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया , साइटिका , पक्षाघात , वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है.
मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है |
सहजन की सब्जी के फायदे. – Sahjan ki sabji ke fayde
सहजन के फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द , वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है,
इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है
सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के किड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है
ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर सहजन का रस सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है
इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होनेलगता है
इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है
इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता है इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हिंग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं
पानी के शुद्धिकरण के रूप में कर सकते हैं इस्तेमाल सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लेरीफिकेशन एजेंट बन जाता है यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है , बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।

सहजन का काढ़ा पीने से क्या-क्या हैं फायदे
कैंसर और पेट आदि के दौरान शरीर के बनी गांठ , फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन , हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द) , जोड़ों में दर्द , लकवा ,दमा,सूजन , पथरी आदि में लाभकारी है |
सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग ,जैसे चेचक के होने का खतरा टल जाता है
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है , जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है
सर्दी-जुखाम
यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो , आप सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
हड्डियां होती हैं मजबूत.
सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है
इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है , इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में
आसानी होती है।
सहजन में विटामिन-ए होता है , जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिए प्रयोग किया आता जा रहा है
इसकी हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है
यदि आप चाहें तो सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं इससे शरीर का खून साफ होता है |
कुछ अन्य उपयोग
सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।
सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका, गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है
सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईं टिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है
सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और  जोड़ों के दर्द व्  वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईससे जकड़न कम होगी।
सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।
सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।


Tuesday 11 April 2017

foods, Papaya

पपीता




पपीता भारत में पूरे साल पाया जाने वाला एक स्वादिष्ट और बहुमुखी फल है। यह विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है और इसमें पपैन नामक एक एंजाइम होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन बी 1 (थियामिन), विटामिन बी 2 (राइबोफ्लेविन), विटामिन बी 3 (नियासिन), विटामिन बी 5 (पैंटोथेनिक एसिड), विटामिन बी 9 (फोलेट), विटामिन ई और विटामिन के जैसे अन्य विटामिन भी शामिल हैं। , पपीता कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, जिंक और सोडियम जैसे कई स्वस्थ लाभकारी का अच्छा स्रोत है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर जैसे अन्य लाभकारी पोषक तत्व भी होते हैं। वास्तव में, यह कई लाभकारी पोषक तत्वों और स्वस्थ एंटीऑक्सिडेंट से पूरी तरह से भरा हुआ है। पपीते के फलों के सेवन के कई फायदे हैं। यह आपको कई बीमारियों से बचा सकता है और डेंगू और मलेरिया जैसी कुछ बीमारियों के इलाज में अत्यधिक प्रभावी हो सकता है। इसका सेवन दोनों रूपों में किया जा सकता है - पका हुआ और कच्चा।


1. शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव प्रदान करता है
पपीते में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्व हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद कर सकते हैं। वे ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर सकते हैं और कई बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं।
2. कोलेस्ट्रॉल कम करता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है
अपने आहार में अधिक पपीता शामिल करना आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। पपीते में उपलब्ध विटामिन सी, फाइबर, पोटेशियम और एंटीऑक्सिडेंट खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करते हैं और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाते हैं। इसलिए यह कई हृदय रोगों और हृदय रोगों को दूर करने में मदद कर सकता है।
3. वजन प्रबंधन में मदद करता है
अगर आप वजन कम करने की योजना बना रहे हैं तो आपको अपने आहार में पपीते को शामिल करना चाहिए। पपीते के एक मध्यम आकार में सिर्फ 120 कैलोरी होती है। इसलिए यह वजन घटाने में वास्तव में प्रभावी हो सकता है। यह परिपूर्णता की भावनाओं को बढ़ावा देने और अधिक भोजन के लिए cravings को नियंत्रित करके वजन घटाने को भी प्रभावित करता है।
4. प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार
पपीता एक उत्कृष्ट प्रतिरक्षा बूस्टर है। इस हल्के फल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन सी सामग्री लोगों की प्रतिरक्षा में सुधार करने में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं।
5. मधुमेह के लिए अच्छा है
पपीता मधुमेह के अनुकूल है। स्वाद में मीठे होने के बावजूद, पपीते में चीनी की मात्रा कम होती है। एक मध्यम पपीता फल लगभग 4.7 ग्राम फाइबर प्रदान करता है। अध्ययनों से पता चला है कि इस तरह के उच्च फाइबर वाले आहारों का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है और मधुमेह के लोगों के लिए अच्छा हो सकता है।
6. आँखों के लिए बढ़िया
पपीते का सेवन नेत्र स्वास्थ्य के लिए अच्छा है क्योंकि इसमें कैरोटिनॉयड के रूप में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए होता है। उनमें मौजूद कैरोटेनॉइड अन्य विटामिन-ए से भरपूर फलों और गाजर और टमाटर को पसंद करने वालों की तुलना में अधिक जैवउपलब्ध हैं। इसलिए, पपीता का सेवन आंखों की श्लेष्मा झिल्ली को स्वस्थ रखने और आंखों को नुकसान से बचाने के लिए आंखों की रोशनी में सुधार कर सकता है।
7. गठिया से बचाता है
पपीते में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जस्ता और तांबा जैसे कई महत्वपूर्ण खनिज होते हैं। इसके अतिरिक्त, उनके पास विटामिन सी के साथ-साथ विरोधी भड़काऊ गुण भी होते हैं जो इस स्वादिष्ट फल के नियमित सेवन पर शरीर में कैल्शियम बैंक के निर्माण में मदद करते हैं और गठिया में मदद करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि पपीते के नियमित सेवन से गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस को नियंत्रित करने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
8. पाचन में सुधार करता है
पपीते में पपैन नामक एक एंजाइम होता है। इस फल में मौजूद पापेन प्रोटीन को तोड़कर पाचन में सहायता करते हैं और उन्हें पचाने में आसान बनाते हैं। कटे हुए फल या एक गिलास पपीते के रस का रस अक्सर पाचन और संबंधित समस्याओं के घरेलू उपचार के रूप में सुझाया जाता है। पपीते का उपयोग आमतौर पर कब्ज, सूजन और अल्सर के इलाज के लिए भी किया जाता है।
9. मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद करता है
एक गिलास पपीते का रस अनियमित पीरियड वाली महिलाओं के लिए काफी मददगार हो सकता है। इस फल में मौजूद पापेन एंजाइम मासिक धर्म के दौरान प्रवाह को विनियमित और आसान बनाने में मदद करता है। केवल जूस ही नहीं बल्कि हरे, बिना पपीते का सेवन भी महिलाओं में अनियमित पीरियड्स को सामान्य कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह दर्द को कम कर देता है और कठिन समय को संभालने के लिए फायदेमंद हो सकता है।
10. उम्र बढ़ने के संकेतों को रोकता है
आपके शरीर को स्वस्थ रखने के बावजूद, पपीते का सेवन आपकी त्वचा को कम और अधिक टोंड दिखने में मदद कर सकता है। इस फल में मौजूद विटामिन सी, विटामिन ई, और एंटीऑक्सिडेंट स्वस्थ और चमकती त्वचा के लिए बहुत अच्छे हैं। पपीते का सेवन त्वचा को साफ करता है और झुर्रियों और उम्र बढ़ने के अन्य लक्षणों को कम करता है।
11. स्वस्थ बालों को बनाए रखता है
पपीते का सेवन न केवल स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने के लिए बल्कि स्वस्थ बालों को बनाए रखने के लिए भी अच्छा है। यह आपको रूसी से छुटकारा पाने, बालों को मजबूत करने और बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इस फल में मौजूद पोषक तत्व बालों के झड़ने से भी रोक सकते हैं।
12. कैंसर के खतरे को कम करता है
पपीते में कैंसर विरोधी गुण होते हैं। उनके पास कुछ अद्वितीय कैंसर से लड़ने वाले प्रभाव हैं जो अन्य फलों द्वारा साझा नहीं किए जाते हैं। यह कैंसर के खतरे को कम नहीं करता है, बल्कि उन लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, जिनका इस बीमारी का इलाज किया जा रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि पपीते में मौजूद लाइकोपीन कैंसर के विकास में योगदान देने वाले मुक्त कणों को कम करके कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। एक अध्ययन यह भी बताता है कि पपीते में बीटा कैरोटीन की प्रचुरता प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर की प्रगति से बचा सकती है।
13. तनाव को कम करने में मदद करता है
पपीता का आश्चर्य फल विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सिडेंट जैसे कई पोषक तत्वों से समृद्ध है। अध्ययनों से पता चला है कि पपीते का सेवन तनाव हार्मोन के फूलों को विनियमित करने में मदद कर सकता है और इसलिए तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। पूरे दिन मेहनत करने के बाद, पपीते की थाली में घर आना एक अद्भुत विचार होगा!
14. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं
पपीता सूजन से लड़ता है और शरीर पर शक्तिशाली विरोधी सूजन प्रभाव हो सकता है। पपैन और काइमोपैन एंजाइमों की उपस्थिति के कारण, पपीते का सेवन शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन को कम कर सकता है। पपीते में पाए जाने वाले कैरोटीनॉयड्स सूजन को कम करने के लिए भी जाने जाते हैं।
15. डेंगू बुखार के उपचार में प्रभावी
पपीते के पत्तों का इस्तेमाल आमतौर पर डेंगू और मलेरिया के उपचार में किया जाता है। पपीते के पत्तों के रस का सेवन प्लेटलेट्स की गिनती को बढ़ाता है और इस तरह डेंगू और मलेरिया बुखार से जल्दी उबरने में मदद करता है।

दर्द(Pain)

  पूरे शरीर में दर्द के कारण कई लोगों को अकसर ही पूरे शरीर में दर्द रहता है। यह दर्द तनाव , स्ट्रेस , अनिद्रा आदि की व...