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Friday 6 May 2022

अनाज(मिलेट)

आजकल पूरे विश्व में लाइफस्टाइल बिमारियों की बाढ़ सी है , और मेडिकल साइंस इन समस्याओं के समाधान के बजाय इनसे दिन प्रतिदिन अत्यधिक लोग प्रभावित किये जा रहें हैं।  इन बिमारियों का सफाया और इनसे स्वस्थ होने के लिए सर्व प्रथम अपनी इच्छा शक्ति को जागरूक करना बेहद आवश्यक हो गया है।  आज मैं आपका ध्यान कुछ अति सामान्य कार्यों पर आकर्षित करना चाह रहा हूँ।  इनमे सबसे पहले आता है हमारा अन्न।  कहा गया है की जैसा होगा अन्न वैसा होगा आपका मन।  अगर हम अपने खानपान को सही राह पर ले आयें और कुछ दिनचर्या में बदलाव कर लें तो फिर इन लाइफ स्टाइल बीमारी को मात देकर स्वस्थ काया फिर से पा सकते हैं।  कुछ बिमारियों के नाम आपके सामने है जिनसे हम छुटकारा पा सकते हैं ,

 जैसे  शुगर , बीपी ,थाइरोइड , लिवर की समस्या (जैसे फैटी लिवर), यूरिक एसिड , कोलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम, अनीमियाँ , मोटापा, हृदयाघात से पहले की बेचैनी  आदि बहुत सारी बीमारी। 

खानपान में अगर फाइबर को शामिल किया जाय तो कुछ दिनों में ही आप बेहतर महसूस करेंगे।  एक और चीज़ जो हमलोग नहीं छोड़ पा रहें हैं वह है सैचुरेटेड वसा जो हमें जानवरों से प्राप्त होती है।    

अनाज को तीन श्रेणी में रखा गया है :-

Negative Grains : इनका लगातार सेवन करते रहने से भविष्य में कई तरह की बीमारियों की सम्भावना रहती है।जैसे – गेहूं ,चावल

Neutral Grains : ये मोटा अनाज कहलाता है। इनके सेवन से शरीर में न कोई बीमारी होती है और न ही कोई बीमारी हो तो वह ठीक होती है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है। ये अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं।

जैसे – बाजरा ,ज्वार ,रागी और प्रोसो।

Positive Grains : पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत छोटे अनाज आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है।

जैसे – कंगनी ,सामा ,सनवा ,कोदो और छोटी कंगनी

Neutral grains और positive grains को संयुक्त रूप से मिलेट कहा जाता है।


पॉजिटिव मिलेट क्या है ? What is Positive Millet ?

पॉजिटिव मिलेट उन अनाज को कहा जाता है जो पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है। सभी पॉजिटिव मिलेट पोएसी फैमिली के अंतर्गत आते हैं। ये अनाज कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं | ये अनाज आकार में बहुत छोटे होते हैं। पॉजिटिव मिलेटस फाइबर से भरपूर होते हैं। इन्हें पकाने से पहले 6 से 8 घंटे पानी में भिगोकर रखना होता है ताकि उनके फाइबर नरम हो सके। इन मिल्लेट्स को मिक्स करके नहीं पकाया जाता। पॉजिटिव मिलेट के अंतर्गत पांच मिलेट आते हैं –

Foxtail Millet ( कंगनी )

 Little Millet ( सामा , कुटकी )

Barnyard Millet ( सांवा , सनवा )

 Kodo Millet ( कोदो )

 Browntop Millet ( छोटी कंगनी ,हरी कंगनी )

बाजार में उपलब्‍घ मिलेटस की मुख्‍य किस्‍में – Main Varieties of Millets

कंगनी – Kangni ( Foxtail / Italian Millet)

   



कुटकी – Kutakee (Little Millet)

  



कोदो – Kodo (Kodo Millet)

 
      



चेना – Chena (Proso Millet)



रागी – Ragi (Finger Millet)



झंगोरा – Jhangora (Barnyard Millet)


ज्‍वार (सोरघम) – Jowar (Sorghum Millet)



बाजरा – Bajara (Pearl Millet)



बाजरा में पाए जाने वाले पोषक तत्‍व (Nutrients found in Millets)

Millets में कई प्रकार के विटामिन और मिनरल पाए जाते है। जिनमे से कुछ पोषक तत्वों की सूचि इस प्रकार से है –

विटामिन बी-3 (Vitamin B-3)

विटामिन बी-6 (Vitamin B-6)

कैरोटीन (Carotene)

फास्‍फोरस (Phosphorus)

मैंग्नीशियम (Magnesium)

पोटेशियम (Potassium)

कैल्शियम (Calcium)

लेसितिण (Lecithin)

लोहा (Iron)

जस्‍ता (Zinc)

फाइबर (Fiber) आदि प्रचुर मात्रा पाए जाते हैं।

बाजरा के फायदे और उपयोग (Millets Benefits)

हमारे स्वास्थ के लिए बाजरा बहुत ही लाभदायक (Millets Benefits) होता है। यह कई प्रकार की विमारियों को ठीक करता है। और उसके होने वाले खतरे को कम करता है। जैसे-


अस्थमा को रोकने में।

खराब केलोस्ट्रोल के स्तर को कम करना।

शरीर से विषैले पदार्थो को साफ़ करने में।

यह शुगर (Diabetes) को कम करता है।

Millet कैंसर के खतरे को कम करता है।

बाजरा के नुकसान (Side Effects )

वैसे तो Millets हेल्थ के लिए काफी फायदेमन्द (Millets Ke Fayde) होता है। लेकिन अत्यधिक मात्रा में बाजरा का सेवन आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है। जिसमे सबसे आम समस्या है थायरोइड की। Millets के अंदर गोईट्रोजन (Goitrogen) होता है। जो थायरोइड की समस्या के लिए जिम्मेदार होता है। ज्यादा मात्रा में सेवन करने से त्वचा रूखी हो सकती है। Millets का अधिक सेवन सोचने की क्षमता को भी कम कर सकती है।

Sorghum / Indian Millet ( ज्वार ) – ज्वार की कई प्रजाति की खेती की जाती है। जिनमें से अधिकतर पशु के चारे के लिए उगाई जाती है। ज्वार की एक प्रजाति sorghum bicolor खाने के काम आती है। ज्वार भी कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें मौजूद विटामिन बी, मैग्रेशियम, फ्लेवोनॉइड, फेनोलिक एसिड और टैनेन पाए जाते हैं।

विटामिन बी मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और बालों व त्वचा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए जरूरी है, जबकि मैग्नेशियम हड्डी और ह्रदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।इसे डायबिटीज को मेंटेन रखने के अलावा वेट मैनजेंमट करने के लिए अच्छा अनाज बताया जाता है।

इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसे सालों भर खाया जा सकता है। इसमें मौजूद फाइबर आंत के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है इसकी रोटी ज्यादा पसंद की जाती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और फाइबर होने के कारण इसके सेवन से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह ग्लूटेन मुक्त अनाज है और आसानी से उपलब्ध हो जाता है ।

पॉजिटिव मिलेट के प्रयोग में क्या सावधानी रखें –

इसे पकाने से पहले 6 से 8 घंटे के लिए भिगो दें।

एक दिन में एक ही तरह का मिलेट खाएं 

इन्हें मिक्स करके नहीं पकाना चाहिए 

पांचो मिलेट को बदल – बदल कर खाये 

इनका आटा तैयार करने से पहले इसे भिगोकर धूप में सुखा लें  

ये कोई नया अनाज है या इंपोर्टेड अनाज है ये सब देसी अनाज हैं और सदियों से देश से लोग इनके गुणों से वाकिफ हैं  पचास-साठ साल पहले तक हिंदुस्तान के लोग इन अनाजों को पैदा करते थे , इन्हें खाते थे और स्वस्थ रहते थे । साठ के दशक में आई हरित क्रांति ने देश के लोगों के सामने चावल की थाली परोस दी  लोग गेहूँ की नरम-नरम मीठी चपाती खाकर स्वयं को धन्य महसूस करने लगे  इनके स्वाद और मिठास के सामने मोटे अनाज फीके नजर आने लगे  देश की बड़ी आबादी का पेट भरने के लिए लोग गेहूँ-चावल पैदा करने लगे और यही दो अनाज लोगों का मुख्य आहार बन गया 

अगर वास्तविक रूप से देखा जाय तो गेहूँ हमारे मुख्य भोजन में कभी शामिल नहीं था न ही इसे पूजा में उपयोग लाया जाता था। हाँ चावल को अच्छत और अन्य तरीके से शामिल किया गया है।  गेहूँ में पाए जाने वाले ग्लूटिन कई समस्याओं को आमत्रित करता है।  अतः  हमे सोच समझ कर ही जीवन शैली को आगे लेकर जाना है। 


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