मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा
दोहा :-
सत्य है
ईश्वर शिव
है जीवन,
सुन्दर ये
संसार है
तीनों लोक
है,
तुझमे तेरी
माया अपरम्पार है ||
ओम नमः
शिवाय नमो,
ओम नमः
शिवाय नमो
||
मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा |
बोल सत्यम
शिवम बोल
तू सुन्दरम,
मन मेरे
शिव की
महिमा के
गुण गाये
जा ||
पार्वती जब
सीता बन
कर,
जय श्री
राम के
सम्मुख आई
|
राम उनको
माता कहकर,
शिव शंकर
की महिमा
गाई ||
शिव भक्ति
में सब
कुछ सूझा,
शिव से
बड़ा नहीं
कोई दूजा
|
बोल सत्यम
शिवम बोल
तू सुन्दरम,
मन मेरे
शिव की
महिमा के
गुण गाये
जा ||
तेरी जटा
से निकली
गंगा,
और गंगा
ने भीष्म
दिया है
|
तेरे भक्तों
की शक्ति
ने,
सारे जगत
को जीत
लिया है
||
तुझको सब
देवोँ ने
पूजा,
शिव से
बड़ा नहीं
कोई दूजा
|
बोल सत्यम
शिवम बोल
तू सुन्दरम,
मन मेरे
शिव की
महिमा के
गुण गाये
जा ||
मन मेरा
मंदिर शिव
मेरी पुजा,
शिव से
बड़ा नहीं
कोई दूजा
|
बोल सत्यम
शिवम बोल
तू सुन्दरम,
मन मेरे
शिव की
महिमा के
गुण गाये
जा ||
ओम नमः
शिवाय नमो,
ओम नमः
शिवाय नमो
||
हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ
शिव नाम
से है,
जगत में
उजाला |
हरी भक्तो
के है,
मन में
शिवाला ||
हे शम्भू
बाबा मेरे
भोले नाथ,
तीनो लोक
में तू
ही तू
|
श्रद्धा सुमन
मेरा, मन
बेलपत्री,
जीवन भी
अर्पण कर
दूँ ||
जग का
स्वामी है
तू, अंतरयामी है तू,
मेरे जीवन
की, अनमिट
कहानी है
तू |
तेरी शक्ति
अपार, तेरा
पावन है
द्वार,
तेरी पूजा
ही, मेरा
जीवन आधार
||
धुल तेरे
चरणों की
ले कर,
जीवन को
साकार किया
|
हे शम्भू
बाबा मेरे
भोले नाथ,
तीनो लोक
में तू
ही तू
||
मन में
है कामना,
कुछ मैं
और जानू
ना,
ज़िन्दगी भर
करू, तेरी
आराधना |
सुख की
पहचान दे,
तू मुझे
ज्ञान दे,
प्रेम सब
से करूँ,
ऐसा वरदान
दे ||
तुने दिया
बल निर्बल
को,
अज्ञानी को
ज्ञान दिया
|
हे शम्भू
बाबा मेरे
भोले नाथ,
तीनो लोक
में तू
ही तू
||
हे शम्भू
बाबा मेरे
भोले नाथ,
तीनो लोक
में तू
ही तू
|
श्रद्धा सुमन
मेरा, मन
बेलपत्री,
जीवन भी
अर्पण कर
दूँ ||
तू ही दाता विश्व विधाता
हे राम,
हे राम,
जग में
साचो तेरो
नाम |
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
तू ही
माता, तू
ही पिता
है,
तू ही
माता, तू
ही पिता
है |
तू ही
तो है,
राधा का
श्याम,
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
हे राम,
हे राम,
जग में
साचो तेरो
नाम |
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
तू अंतर्यामी, सबका स्वामी,
तू अंतर्यामी, सबका स्वामी |
तेरे चरणों
में, चारो
धाम,
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
हे राम,
हे राम,
जग में
साचो तेरो
नाम |
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
तू ही
बिगाड़े, तू
ही सवारे,
तू ही
बिगाड़े, तू
ही सवारे
|
इस जग
के, सारे
काम,
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
हे राम,
हे राम,
जग में
साचो तेरो
नाम |
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
तू ही
जगदाता, विश्वविधाता.
तू ही
जगदाता, विश्वविधाता |
तू ही
सुबह, तू
ही शाम,
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
हे राम,
हे राम,
जग में
साचो तेरो
नाम |
हे राम,
हे राम,
हे राम,
हे राम
||
कभी राम बनके कभी श्याम बनके
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ||
तुम राम
रूप में
आना,
तुम राम
रूप में
आना |
सीता साथ
लेके, धनुष
हाथ लेके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना |
कभी राम
बनके कभी
श्याम बनके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना ||
तुम श्याम
रूप में
आना,
तुम श्याम
रूप में
आना |
राधा साथ
लेके, मुरली
हाथ लेके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना |
कभी राम
बनके कभी
श्याम बनके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना ||
तुम शिव
के रूप
में आना,
तुम शिव
के रूप
में आना
|
गौरा साथ
लेके, डमरू
हाथ लेके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना |
कभी राम
बनके कभी
श्याम बनके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना ||
तुम विष्णु
रूप में
आना,
तुम विष्णु
रूप में
आना |
लक्ष्मी साथ
लेके, चक्र
हाथ लेके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना |
कभी राम
बनके कभी
श्याम बनके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना ||
तुम गणपति
रूप में
आना,
तुम गणपति
रूप में
आना |
रीधी साथ
लेके, सीधी
साथ लेके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना |
कभी राम
बनके कभी
श्याम बनके,
चले आना
प्रभुजी चले
आना ||
श्यामा आन बसों वृन्दावन में दिया गया है –
श्यामा
आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ||
श्यामा रस्ते
में बाग
लगा जाना,
फुल बिनूंगी तेरी माला के
लिये |
तेरी बाट
निहारूं कुँजन
में,
मेरी उमर
बीत गई
गोकुल में।।
श्यामा रस्ते
में कुआँ
खुदवा जाना,
मै तो
नीर भरुँगी
तेरे लिये
|
मै तुझे
नहलाउँगी मलमल
के,
मेरी उमर
बीत गई
गोकुल में
||
श्यामा मुरली
मधुर सुना
जाना,
मोहे आके
दरश दिखा
जाना |
तेरी सुरत
बसी है
अखीयन में,
मेरी उमर
बीत गई
गोकुल में
||
श्यामा व्रँदावन में आ जाना,
आ करके
रास रचा
जाना |
सुनी गोकुल
की गलियों
में,
मेरी उमर
बीत गई
गोकुल में
||
श्यामा माखन
चुराने आ
जाना,
आकर के
दही बिखरा
जाना |
बस आप
रहो मेरे
मन में,
मेरी उमर
बीत गई
गोकुल में
||
श्यामा आन
बसों व्रंदावन में,
मेरी उमर
बीत गई
गोकुल में
||
मेरा आपकी
कृपा से
सब काम
हो रहा
है
करते हो
तुम कन्हैया मेरा नाम हो
रहा है
पतवार के
बिना ही
मेरी नाव
चल रही
है
बिन मांगे
हे कन्हैया हर चीज मिल
रही है
अब क्या
बताऊ मोहन
आराम हो
रहा है
मेरा आपकी
कृपा से
सब काम
हो रहा
है
मेरी जिंदगी
में तुम
हो किस
बात की
कमी है
मुझे और
अब किसी
की परवाह
भी नही
है
तेरी बदौलतो
से सब
काम हो
रहा है
मेरा आपकी
कृपा से
सब काम
हो रहा
है
दुनिया में
होंगे लाखो
तेरे जैसा
कौन होंगा
तुज जैसा
बंदा परवर
भला ऐसा
कौन होगा
अरे थामा
है तेरा
दामन आराम
हो रहा
है
मेरा आपकी
कृपा से
सब काम
हो रहा
है
तूने अजब रचा भगवान
तूने अजब रचा भगवान,
खिलौना
माटी का |
माटी का
रे माटी
का,
माटी का
रे माटी
का |
तुने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का ||
कान दिए
हरि भजन
सुनन को,
कान दिए
हरि भजन
सुनन को
|
तू मुख
से कर
गुणगान,
खिलोना माटी
का |
तुने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का ||
जीव्हा दी
हरि भजन
करन को,
जीव्हा दी
हरि भजन
करन को
|
दी आँखे
कर पहचान,
खिलोना माटी
का |
तुने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का ||
शीश दिया
गुरु चरण
झुकन को,
शीश दिया
गुरु चरण
झुकन को
|
और हाथ
दिए कर
दान,
खिलोना माटी
का |
तुने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का ||
सत्य नाम
का बना
के बेड़ा,
सत्य नाम
का बना
के बेड़ा
|
और उतरे
भव से
पार,
खिलोना माटी
का |
तुने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का ||
तूने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का |
माटी का
रे माटी
का,
माटी का
रे माटी
का |
तुने अजब
रचा भगवान,
खिलौना माटी
का ||
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं,
बाद अमृत पिलाने से क्या फ़ायदा |
कभी गिरते
हुए को
उठाया नहीं,
बाद आंसू
बहाने से
क्या फ़ायदा
||
मैं तो
मंदिर गया,
पूजा आरति
की,
पुजा करते
हुए ये
ख़याल आ
गया |
कभी माँ
बाप की
सेवा की
ही नहीं,
सिर्फ पूजा
के करने
से क्या
फ़ायदा ||
कभी प्यासे
को पानी
पिलाया नहीं,
बाद अमृत
पिलाने से
क्या फ़ायदा
||
मैं तो
सतसंग गया,
गुरु वानी
सुनी,
गुरु वानी
को सुन
के ख्याल
आ गया
|
जनम मानव
का ले
के दया
ना करी,
फिर मानव
कहलाने से
क्या फ़ायदा
||
कभी प्यासे
को पानी
पिलाया नहीं,
बाद अमृत
पिलाने से
क्या फ़ायदा
||
मैंने दान
किया मैंने
जप तप
किया
दान करते
हुए यह
खयाल आ
गया |
कभी भूखे
को भोजन
खिलाया नहीं
दान लाखों
का करने
से क्या
फ़ायदा ||
कभी प्यासे
को पानी
पिलाया नहीं,
बाद अमृत
पिलाने से
क्या फ़ायदा
||
गंगा नहाने
हरीद्वार काशी
गया,
गंगा नहाते
ही मन
में खयाल
आ गया
||
तन को
धोया मगर
मन को
धोया नहीं
फिर गंगा
नहाने से
क्या फ़ायदा
||
कभी प्यासे
को पानी
पिलाया नहीं,
बाद अमृत
पिलाने से
क्या फ़ायदा
||
मैंने वेद
पढ़े मैंने
शास्त्र पढ़े,
शास्त्र पढते
हुए यह
ख्याल आ
गया |
मैंने ज्ञान
किसी को
बांटा नहीं,
फिर ग्यानी
कहलाने से
क्या फ़ायदा
||
कभी प्यासे
को पानी
पिलाया नहीं,
बाद अमृत
पिलाने से
क्या फ़ायदा
||
माँ – पिता
के ही
चरणों में
ही चारो
धाम है,
आजा आजा
यही मुक्ति
का धाम
है |
पिता माता
की सेवा
की ही
नहीं
फिर तीर्थों में जाने का
क्या फ़ायदा
||
कभी प्यासे
को पानी
पिलाया नहीं,
बाद अमृत
पिलाने से
क्या फ़ायदा
||
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