सूर्य नमस्कार करने के फायदे
- स्वस्थ पाचन-तंत्र रोज सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से पाचन दुरुस्त रहता है।
- शरीर को डिटॉक्स करता है
- त्वचा में निखार आता है
- पेट की चर्बी कम होती है
- महिलाओं के लिए फायदेमंद
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा
- वजन कम होता है
- शरीर में लचीलापन आता है
भ्रस्त्रिका -
इस प्राणायाम को
तीन तरह से किया जाता है। पहले पांच सेकेंड में सांस लें और पांच सेंकेंड में सांस
छोड़ें। दूसरे में ढाई सेकेंड सांस लें और ढाई सेकेंड में छोड़ें। तीसरा तेजी से
सांस लें और छोड़ें। इस प्राणायाम को लगातार पांच मिनट करें। इस आसन को रोजाना
5-10 मिनट तक करें।
भस्त्रिका
प्राणायाम फेफड़ों के साथ आंख, कान और नाक के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी लाभदायक है। इस प्राणायाम
से पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की भी एक्सरसाइज हो जाती है। साथ ही मोटापा, दमा, टीबी और सांसों से जुड़े रोग दूर हो जाते हैं। मसल से जुड़े किसी भी रोग में
भी भस्त्रिका प्राणायाम को लाभकारी माना गया है।
कपालभाति -
योग विशेषज्ञ के अनुसार कपालभाति करने से शरीर में इम्यूनिटी बढ़ता है। इसके साथ ही शरीर से अशुद्ध् तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे थायराइड से छुटकारा मिलता है।कपालभाति प्राणायाम से माइग्रेन और अनुलोम-विलोम से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।
उज्जायी -
इस आसन में गले से सांस अंदर भरकर ऊं का उच्चारण किया जाता है। इससे थायराइड को काफी लाभ मिलता है। इस आसान नियमति रूप से 7-11 बार करना चाहिए।
अनुलोम-विलोम -
अनुलोम-विलोम
करने के लिए सबसे पहले पद्माशन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और
सबसे छोटी अंगुली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं नाक पर लगा लें। तर्जनी
और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे दाएं नाक से
अंगूठे को हटाकर सांस को बाहर निकाल दें। इस आसन का 15 मिनट से लेकर आधा घंटा तक करें।
इससे थायराइड में लाभ होगा।
थायराइड से छुटकारा पाने के लिए यह योग है लाभदायक
सूर्य नमस्कार -
थायराइड से छुटकारा पाने के लिए सूर्य नमस्कार, लाभदायक होता है। इसके करने से
पूरे शरीर एनर्जी से भरा रहता है। इसके साथ ही हृदय, फेफड़ा, किडनी को स्वस्थ्य
रखने में सहायक तो होता ही है, साथ में थायराइड से छुटकारा भी दिलाता है।
सिंहासन -
इस आसन को थायराइड के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को मोड़ें और उसे बाएं पैर की जांघ पर रख लें और बाएं पैर को मोड़ें और उसे दाएं पैर की जांघ पर रख लें। इसके बाद आगे की ओर झुक जाएं। दोनों घुटनों के बल होते हुए अपने हाथों को सीधा कर फर्श पर रख लें। इसके बाद अपने शरीर के उपर के हिस्से को आगे की ओर खीचें। अपने मुंह को खोलें और जीभ को मुंह से बाहर की ओर निकालें। नाक से सांस लेते हुए मुंह से आवाज करें। इसे रोजाना 7-11 बार करें।
इस आसन को ब्रिज पोज भी कहते हैं। पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए यह योगासन लाभकारी है। अध्ययनों से पता चला है कि सेतुबंधासन के अभ्यास से थायराइड के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट कर पैरों को कंधे की चौड़ाई से थोड़ा अलग करके घुटनों को मोड़ लें। अब हथेलियों को खोलते हुए हाथ को बिल्कुल सीधा जमीन पर सटा लें और सांस को लेते हुए कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएंं। सांस छोड़ते हुए पुरानी वाली स्थिति में आ जाएं।
कोबरा पोज
थायराइड
की समस्या से राहत पाने के लिए कोबरा पोज का अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन से गले और
थायराइड को उत्तेजित करने में सहायक माना जाता है। कोबरा पोज के अभ्यास से लिए
जमीन पर लेटकर हथेलियों को फर्श पर कंधे की चौड़ाई से अलग रखें। अब श्वास लेते हुए
छाती को फर्श से उठाते हुए छत की ओर देखें। अब शरीर को फर्श पर दोबारा लेकर आएं।
इस योग को दोहराएं।
थायराइड की समस्या से परेशान लोगों
को कैट काऊ का अभ्यास करना चाहिए। यह गले में रक्त के प्रवाह को निरंतर जारी रखने में
लाभकारी है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले कलाइयों और घुटनों की मदद से जानवरों
जैसी मुद्रा बना लें। गहरी श्वास लें और छोड़ें। इस योग को रोजाना 10 मिनट करने चाहिए।
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